भक्त जनों कि आस कि भक्तो के विश्वाश की,
चोदाहा दिन तेरा भोजन करके श्रधा और विश्वाश की लाज रखो,
जय जय संतोषी माँ मियाँ मेरी लाज राखो,
अपने सचे भगतो की माँ करती सदा रखवाली हो,
हे महा माया तुम तो भगत के संकट हरने वाली हो,
दीं दुखी के भाग जगाओ अंधियारों को दूर करो,
हम सब को है तेरा सहारा सब की मदत भरपूर करो,
देदो अपने धाम की मान और समान की,
मन में जो संतोष जो भर दो माँ संतोषी नाम की,
मैया मेरी लाज रखो ......
जिस मन सबर नही है उनको भय जल्जाल ने गेरा,
इस से उनका कुछ न बिगड़े जो बिगड़े सो तेरा माँ,
अब से कला हे जगाम्बे मधुर के संग संतोष भरो,
भूल चुक का नाम करो माँ देवन के हर दोष करो,
अज्ञानी और गयान की पूजा विधि के मान की
तेरे दर पे शीश झुकाए अपने शंकर दास की,मैया जय सन्तोषी माता
आया मैं तेरे दरबार संतोषी माँ मैया जय सन्तोषी माता
ममता मई है माँ संतोषी आओ माँ,
जग में तेरे रूप कई है आओ माँ,
जग में महिमा बड़ी है आओ माँ,
द्वारे तेरे ज्योत जगी है आओ माँ,
दिल से तुमे बुलाता हु आओ माँ,
तेरे ही गुण गाता हु आओ माँ,