गुना के भवन मैं विराजी मोरी मैया ,
नाम संतोषी रानी तुम हो दानी महादानी बड़ी भोली माँ,
मैंने सुना है धाम में तेरे मिलता सभी को प्यार हो,
जो भी चाहे तो सिर को झुकाए तो मियाँ देती दुलार हो,
मैं भी चल कर सिर को जुकाऊ कर लू थोडा दीदार हो,
मुझपे भी किरपा थोड़ी करो मेरी मैया,
नाम संतोषी रानी तुम हो दानी महादानी बड़ी भोली माँ
देख सूरतियाँ तेरी महारानी मनमोहित हो जाए,
नाम तुमहरा है संतोषी शंकर भवानी तुम्हे ध्याए हो,
दिल है विशाल है माँ तेरा जगदम्बे सब का मन हरषाए,
तुम हो माँ जगदम्बे जग की खवैइयाँ,
नाम संतोषी रानी तुम हो दानी महादानी बड़ी भोली माँ
तुम्हारी किरपा हे जगदम्बे सोये सब के भाग जगे,
तुम्हरे दर्श के नैन दीवाने दिन रात मियाँ तेरी राह तके,
गुण है हजारो नाम हजारो तेरे किरपा से भगियाँ महके,
शंकर माँ तेरे पाप थारे राही पहियाँ,
नाम संतोषी रानी तुम हो दानी महादानी बड़ी भोली माँ