देख आई री देख आई री वृन्दावन का नज़ारा मैं देख आई री.....
मुझै मोर मुकुट धरी मोहन मिले,
मुझै घुंघराली लट वाले मोहन मिले,
वृषभानु लाली राधा रानी के संग,
मुझै रास रचाते हुए मिल गए, सखिओ को नचाते हुए मिल गए,
देख आई री देख आई री वृन्दावन का नज़ारा मैं देख आई री....
मुझै माखन चुराते हुए मिल गए,
सखिओ को रिझाते हुआ मिल गए,
थोड़ी छाछ के बदले में ये सँवारे,
उनको नाच दिखते हुआ मिल गए, भक्तो को रिझाते हुए मिल गए,
देख आई री देख आई री वृन्दावन का नज़ारा मैं देख आई री....
माँ यशोदा ने ओखल से बंधा उन्हे,
उनके सन्मुख वो सहमे खड़े रह गए,
दीनबंधु की ऐसे बंधा देख कर मेरी आँखों से अश्रु छलकने लगे,
देख आई रे माँ यशोदा का लल्ला मैं देख आई री....
मुझे यमुना के तट पर कदम के वृक्ष पर,
बंसी बजाते हुए मिल गए, स्नान करती हुई गोपिओ के हरी,
वो तो चीर चुराते हुए मिल गए,
देख आई री देख आई री वृन्दावन का नज़ारा मैं देख आई री,
देख आई री देख आई री मधुबन का नज़ारा मैं देख आई री.....