जा रे कान्हा जा रे जा, जा रे जा, जा रे कान्हा जा रे जा
अब के मोहन सुध ना हरुंगी,
बृन्दाबन जा बंसी बजा !!
तुम से भली तो तुमरी छबी है,
जुग जुग से जो मन में बसी है
उसके अधर पर भी बन्सी है,
वो कान्हा मेरा, जा तू जा .. ||
तुम बिन अब ना मैं तडपूंगी,
तुमरे दरस को ना तरसूंगी
बिनती करुँगी ना पैय्या पडूँगी,
जित जाना उत जा, जा तू जा .. ||
गीत : ग्वाला
संगीत : अरुण सराफ
अल्बम : रंग दे ओ श्याम