जब से पकड़ा है मेरा हाथ मेरे साई ने,
मेरा छोड़ा न कभी हाथ मेरे साई ने,
ध्यान रखा मेरा दिन रात मेरे साई ने,
मेरा छोड़ा न कभी हाथ मेरे साई ने,
मेरी जितनी थी मुरादे वो हो गई पूरी,
ना किसी बात का शिकवा न कोई मज़बूरी,
मेरी तकदीर की तस्वीर बदल डाली है,
कर गरीबी थी जहा वहा आज खुशहाली है,
सिर कभी न साई की चौकठ से न उठाऊंगा,
कभी न एहसान मैं बाबा का न भुलाऊँगा,
मेरी मानी है सदा बात मेरे साई ने,
मेरा छोड़ा न कभी हाथ मेरे साई ने,
जो किसी दर से ना पाया वो मिला शिरडी में,
मेरी उम्मीद का हर फूल खिला शिरडी में,
हो भला उसका मुझे शिरडी दिखाई जिसने,
साई किरपा की कहानी दिखाई जिसने,
जब से साई का दीवाना हुआ है मन मेरा मुझको लगने लगा नया सा जीवन मेरा,
करदी रेहमत की यु बरसात मेरे साई ने,
मेरा छोड़ा न कभी हाथ मेरे साई ने,
जो मेरे पास है वो है कर्म साई का,
मुझपे रहता है हमेशा ही रेहम साई का,
मेरी सांस में रहता है मेरा साई,
मेरा अल्ल्हा मेरा साई है रब मेरा साई,
मेरी औकात से जयदा वो दिए जाता है,
मुझपे एहसान वो दिन रात किये जाता है,
ऐसे बदले मेरे हलात मेरे साई ने,
मेरा छोड़ा न कभी हाथ मेरे साई ने,