मुझसे अधम अधीन उवारे न

दृग उरझत टूटत कुटुम, जुरत चतुर चित प्रीत,
परत गाँठ दुरजत हिये, दई नई यह रीति ,

मुझसे अधम अधीन, उवारे न जायेंगे,
प्रभु आप दीनबंधु, पुकारे न जाएंगे,
मुझसे अधम अधीन ,,,,,,,,,,,

खामोश हूँगा मै भी, अगर आप यही कह दो,
अब मुझसे कभी पातकी, तारे न जाएंगे,
मुझसे अधम अधीन,,,,,,,,,

जो बिक चुके हैं और, खरीदा है आपने,
अब वह गुलाम गैर के, द्वारे न जाएंगे,
मुझसे अधम अधीन,,,,,,,,,,

पृथ्वी का भार आपने, कई बार उतारा,
क्या मेरे पाप भार, उतारे न जाएंगे,
मुझसे अधम अधीन, उवारे न जायेंगे,
प्रभु आप दीनबंधु , पुकारे न जाएंगे
मुझसे अधम अधीन उवारे न जायेंगे

सिंगर भरत कुमार दवथरा

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