न कहीं से दूर हैं मंजिलें

न कहीं से दूर हैं मंजिलें,
   न कोई करीब की बात है ।
जिसे तुम ने दर पे बुला लिया,
   ये बड़े नसीब की बात है ॥

  1. जिसे चाहा दर से हटा दिया,
       जिसे चाहा अपना बना लिया ।
       ये बड़े कर्म के हैं फैसले,
       ये बड़े नसीब की बात है ॥

  2. वो खुदा नहीं नाखुदा नहीं,
       वो खुदा से लेकिन जुदा नहीं ।
       वो है क्या मगर वो है क्या नहीं,
       ये मेरे हबीब की बात है ॥

  3. वो तो पास रहकर भी दूर है,
       और दूर रहकर भी पास है ।
       जो समझ सका न तेरा करम,
       ये तो बदनसीब की बात है ॥

    स्वर÷ परम पूज्या संत करुणामयी गुरु माँ
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