छूटे न शिरडी तेरी चाहे छूटे सब संसार

छूटे न शिरडी तेरी चाहे छूटे सब संसार,
कस कर हाथ पकड़ लो साई बस इतनी दरकार,
देदो प्यार साई प्यार ,

बन के रहु मैं चाकर तेरी चौकठ की सरकार ,
कस कर हाथ पकड़ लो साई बस इतनी दरकार,

जब से तेरी शिरडी देखि और नहीं कुछ बाहता है
रोम रोम में बस गए तुम ही नजर तू ही आता है,
अपना तुम्हे बना बैठी मैं करती हु इकरार,
कस कर हाथ पकड़ लो साई बस इतनी दरकार,

इतना प्यार दिया तूने साई ये उपकार तुम्हारा है,
जब जब भी मैं खुद से हारी आकर मुझे सम्बाला है,
तेरी किरपा का कोई अंत नहीं तू रेहमत का भण्डार,
कस कर हाथ पकड़ लो साई बस इतनी दरकार,

जब तक है ये जीवन साई सेवा तेरी किया करू,
बन के दास तेरे चरणों की साई नाम रस पिया करू,
बीत रहे चरणों से तेरे मेरे जीवन प्राण आधार,
कस कर हाथ पकड़ लो साई बस इतनी दरकार,
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