खुशियों के दीपक जलते है,
साईं के दरबार में,
दुःख भी सारे सुख लगते है साईं के दरबार में
जिसने कभी उठाया साईं नाम जपंन का बीड़ा,
अनजाने में हर ली उसकी साईं ने हर पीड़ा
अन चाहे बादल छट ते है साईं के दरबार में,
जिस प्राणी ने सचे मन से साईं नाम पुकारा
रूप बदल कर आये साईं उसका भ्ग्ये सवारा,
बिगड़े भाग्ये सदा बनते है,साईं के दरबार में,
कट जाती है साईं जाप से वैरन काली राते
पूरी करते शिर्डी वाले मन की सभी मुरादे
अजल सभी भेवव मिलते है
साईं के दरबार में,