प्रभु मान रखियो मेरा

श्लोक:- वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥

यहां आज सभा में सबसे पहले सुमिरन करती हुं तेरा
प्रभु मान रखियो मेरा, प्रभु मान रिखयो मेरा

माता तुम्हारी पार्वती शंकर जी पिता कहाते
जय गणापित , जय गणपित , जय गणापित , जय गणापित
माता तुम्हारी पार्वती, शंकर जी पिता कहाते
तुम मूषक चढके आओ गणपित भक्त तुम्हें है बुलाते
अब आओ भोग लगाओ गणपति, बालक जान के तेरा
रभु मान रखियो मेरा...

तुम सब देवों में देव बड़े हो पहले तुम्हें मनाते
जय गणपति , जय गणपति, जय गणपति, जय गणपति
तुम सब देवों मे देव बडे हो पहले तुम्हें मनाते
संकट मे आकर भक्तों की तुम ही तो लाज बचाते
अब लाज आज रख मेरी भी संकट ने मुझको घेरा
प्रभु मान रखियो मेरा...

तेरी काया कंचन कंचन है, किरनों का इसमें बसेरा
जय गणपति , जय गणपति , जय गणपति, जय गणपति
तेरी काया कंचन कंचन है किरनों का इसमें बसेरा
तेरी सुंढ संडोली मूरत है आंखों में खुशियों का डेरा
तेरी महिमा अपरंपार गणपित, शरण मे डाला डेरा
रभु मान रखियो मेरा...

इंदु सामाना          

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