सब कुछ बदल जाता है यहाँ,पर लेख विधि का बदलता नहीं,
प्रभु का मान भले टल जाए,भगत का मान कभी टलता नहीं,
भगत का मान कभी टलता नहीं.....
मीरा हो गई तेरी दीवानी,इकतारे पे भजन किया,
तेरे भगत को चैन से मोहन राणा ने जीने ना दिया,
फिर कोई ना करता भरोसा,विष अमृत जो बनता नहीं,
प्रभु का मान भले टल जाए,भगत का मान कभी टलता नहीं,
भगत का मान कभी टलता नहीं.....
भरी सभा में द्रुपद सुता का चीर दुशासन हरने लगा,
पांडव कुल की पटरानी के आँख से आंसू झरने लगा,
फिर कोई ना करता भरोसा,चीर द्रौपदी का जो बढ़ता नहीं,
प्रभु का मान भले टल जाए,भगत का मान कभी टलता नहीं,
भगत का मान कभी टलता नहीं.....
हे प्रभु तेरे भगत को मेरा बारम्बार है प्रणाम,
बनवारी मैं किस लायक हूँ,देना चरणों में स्थान,
प्रभु से मिलना बड़ा सरल है,भक्त प्रभु का मिलता नहीं,
प्रभु का मान भले टल जाए,भगत का मान कभी टलता नहीं,
भगत का मान कभी टलता नहीं.....
सब कुछ बदल जाता है यहाँ,पर लेख विधि का बदलता नहीं,
प्रभु का मान भले टल जाए,भगत का मान कभी टलता नहीं,
भगत का मान कभी टलता नहीं.....
भजन गायक - सौरभ मधुकर
प्रस्तुतकर्ता - संस्कार टीवी