हुण आजा श्याम वे, सोह है तैनू प्यार दी,
तू की जाने किवे गुज़ारा घड़ियाँ इंतज़ार दी.....
इक दिन राति सपने दे विच आ गए श्याम मुरारी,
मोर मुकट मत्थे तिलक विराजे, कुंडला दी छवि न्यारी,
आँख जद मैं खोली श्यामा, रह गयी रूप निहार दी,
हुण आजा श्याम वे......
डरदी मारी आँख न खोला किते सपना न टूट जाए,
मुश्किल दे नाल श्याम हत्थ आया, किधरे चला न जाए,
आँख जद मैं खोली श्यामा, रह गयी वाजा मारदी,
हुण आजा श्याम वे......