खेल तुम्हारे सब से निराले हे शिरडी वाले हे शिरडी वाले,
खोले सब की किस्मत के ताले हे शिरडी वाले,
सदा निभाते सब ते रिश्ता तुम जैसा न कोई फरिश्ता,
तुमने सदा सब के कष्ट टाले हे शिरडी वाले,
डगमग डोले जीवन नाइयाँ दिखे न कोई नाथ खिवईया,
नैया मेरी अब तेरे हवाले हे शिरडी वाले,
देख लिया सब को आजमा के कुछ न मिला झोली फैला के,
कौन है जो मेरी बिगड़ी संभाले हे शिरडी वाले,
जे दर छोड़ कहा मैं जाऊ किसको अपनी पीड़ सुनाऊ,
पड़ गए अब तो पैरो में छाले हे शिरडी वाले,