कब आ जाये साई दरवाजा खुला रखना,
इस दिल की चौकठ पर साई नजरो कर्म रखना,
कब आ जाये साई दरवाजा खुला रखना,
तेरी इबादत से बरकत मिली मुझको,
सब दुःख दर्दो से राहत मिली मुझको,
तू ही है आला सूफी जग का रखवाला,
जहां में तू ही तो है हमे पालने वाला,
तेरा दीदार न कही रह जाये सपना,
कब आ जाये साई दरवाजा खुला रखना,
जलवे तेरे ज़माने ने देखे है,
दीये भी पानी से जलते हमने देखे है,
करदे आनदं ही आनंद मेरे हिसे,
अपने चरणों में बाबा मुझे रखना,
कब आ जाये साई दरवाजा खुला रखना,
हर युग में पेहरा देने आया है,
कभी तू कान्हा राम विष्णु बन के आया है,
तेरा रजवाल तेरे समन्दर में डूबते आज मस्ती में आया है,
कब आ जाये साई दरवाजा खुला रखना,