मैं चहु सदा दर तेरे आना तू युही बुलाना दातिये,
तेरा दर ही तो सब का ठिकाना तू युही बुलाना दातिये,
तेरी चौकठ शीश झुकाना आस है तेरा दर्शन पाना,
कभी तू भी मेरे आ जाना तू युही बुलाना दातिये,
करता रहु मैं सुमिरन तेरा कोई नहीं इस जग में मेरा,
कट जाए चौरासी वाला फेरा,तू युही बुलाना दातिये,
तेरे चरणों में रम जाऊ और कही अब क्यों मैं जाऊ,
मैं तो बन गया तेरा माँ दीवाना तू युही बुलाना दातिये,
शान पे नजरे तेरी निगाहे जीत की नैया थामो भाहे,
अपने जोगी को चरणों से लगाना तू युही बुलाना दातिये,