हिमाद्रि तुंग श्रृंग से
प्रबुद्ध शुद्ध भारती ---
स्वयं प्रभा समुज्ज्वला
स्वतंत्रता पुकारती ---
अमर्त्य वीरपुत्र हो, दृढ प्रतिज्ञ सोच लो,
प्रशस्त पुण्य पंथ है --- बढे चलो,बढे चलो ||
असंख्य कीर्ति-रश्मियाँ ,
विकीर्ण दिव्य दाह-सी |
सपूत मातृभूमि के ---
रुको न शूर साहसी |
अराति सैन्य सिंधु में,सुवाड़वाग्नि-से जलो,
प्रवीर हो जयी बनो -- बढे चलो, बढे चलो !
गायिका - माधुरी मिश्रा
रचयिता - जय शंकर प्रसाद