मेरा हिर्दये तुम हो स्वास तुम ही,
रहती सदा हो मेरे पास तुम ही,
अर्धांग मेरे आराध्या तुम ही,
सिन्धुर तुम ही सोह्भाग्ये तुम हो,
शन भर भी तुमसे दूर हो जाऊ समय न बीते,
सीते मेरी प्रिय तुम सीते
मेरे राम मेरे प्रियवर राम,
नैनो में तुम अनजन भरो मेरे नाम का,
अशित्व है तुमसे तुम्हारे राम का ,
मीत बनके रखती मेरा मान वो,
विश्प्रान से तुम बन मैं तुम बिन मेरे प्राण हो,
प्रेम ये ना कम कभी हो जो भी हो परिणाम,
मेरे राम मेरे प्रियवर राम,
रोम रोम में राम का आभास हो,
प्रेम पावन मन की तुम ही प्यास हो,
चलती हु बनके तेरे संग जीवन संगनी .
मैं धन्ये हूँ तुम मेरे अर्धांग्नी,
प्रेम की परिभासा तुम से सारा जग सीखे,
सीते मेरी प्रिय तुम सीते
मेरे राम मेरे प्रियवर राम,