लगा लो मात सीने से

लगा लो मात सीने से बरस 14 को जाते हैं,
तुम्हारी लाडली सीता साथ लक्ष्मण भी जाते हैं,
लगा लो मात सीने से.....

रोती हैं मात कौशल्या नीर आंखों से बहता है,
राजा दशरथ भी रोते हैं आज मेरे प्राण जाते हैं,
लगा लो मात सीने से.....

धन्य है केकई मैया को उन्होंने हमें वन को भेजा है,
ना हाथी है ना घोड़ा है वहां पैदल ही जाना है,
लगा लो मात सीने से.....

यह भोजन क्यों बनाए हैं मात केकई को जा देना,
लिखा नहीं किस्मत में भोजन राम मां को समझाते हैं,
लगा लो मात सीने से.....

रो रही अयोध्या की प्रजा नीर आंखों से बहता है,
चले हैं वन खड़ को श्री राम प्रजा सब खड़ी घबराती है,
लगा लो मात सीने से.....
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