श्री कुबेर जी है भंडार भरते ध्यान हिरदये में जो इनका धरते,
संग लक्ष्मी जी है आज्ञा कारी पूजती है ये संग दुनिया सारी,
भाव से भर्ती भगति का गागर आप गागर में सागर को भरते,
श्री कुबेर जी है भंडार भरते ध्यान हिरदये में जो इनका धरते,
धन कुबेर जी है शिव जी के प्यारे भक्त वविशन है बाहता तुम्हारे,
विषवाला ले ईदबीड़ा के प्यारे कावेरी के नाथ शिव के दुलारे,
अलका पूरी में है निवास तुम्हरा यकश गंदरवो पे किरपा करते,
श्री कुबेर जी है भंडार भरते ध्यान हिरदये में जो इनका धरते,
दूजा देव नहीं धन के प्रदाता पहले ही नाम तुम्हारा है आता,
जो है श्रद्धा से शीश झुकाता बिन मांगे उसे सब कुछ मिल जाता,
हाथ किरपा का धर दो मेरे सिर आन पड़ा हु मैं तेरे दर पे,
श्री कुबेर जी है भंडार भरते ध्यान हिरदये में जो इनका धरते,
किरपा पात्र को मिलते है मोती,
जाग जाती है किस्मत जो सोती,
जय हो जय हो जय कुबेर जी तुम्हारी,
अन धन और खुशियों को भरते,
श्री कुबेर जी है भंडार भरते ध्यान हिरदये में जो इनका धरते,
स्वर्ण शृंगासन पे आप विराजे मणि मुकट है शीश पे साजे,
द्वार तेरे है नो वक़्त भाजे धन के खोलो सभी दरवाजे,
देविंदर रवि कान्त के घर में बाबा धनतेरस को धन भर देते,
श्री कुबेर जी है भंडार भरते ध्यान हिरदये में जो इनका धरते,