गंगा यमुना सरस्वती के बहते अमृतधारे

गंगा यमुना सरस्वती के बहते अमृतधारे यहाँ आशनां किये या,
संगम सब देवो संग होगा संगम घाट किनारे तू धयान किये या,

लगा तीर्थ  प्राग राज में माह कुंभ का मेला,
स्वर्ग उतर आया धरती पर देखे पवन वेला,
कही भजन कही भंडारे कही संतो का है रेला,
बन जायेगा पाप कटेगा कष्टों का मेला पूण दान किये जा,
गंगा यमुना सरस्वती के बहते अमृतधारे यहाँ आशनां किये या,

इतर गुला है पुरवाई में माटी में चन्दन है,
कोटि कोटि इस देव भूमि का मन से अभिननन्द है,
निश्चल होती यहाँ आत्मा खुलता हर बंधन है,
गंगा की लेहरो में सुनाई देता शिव वंधन है गुण गान किये जा,
गंगा यमुना सरस्वती के बहते अमृतधारे यहाँ आशनां किये या,

मन के मनके फेर मेनका मोक्ष अगर पाना है,
लगा तिरवेनी में डुबकी भाव पार अगर जाना है,
हर गंगे हर हर गंगे हर सांस में दोहराना है,
मंत्न नहीं महा मंत्र है ये इस मंत्र में रम जाना है ये ज्ञान लिए जा,
गंगा यमुना सरस्वती के बहते अमृतधारे यहाँ आशनां किये या,
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