जब जब भी दादी तेरे नैनो से नैन मिलाई आँखे ये मेरी भर आई,
याद करू मैं मेरा बीता ज़माना
कोई नहीं था बाबा मेरा ठिकाना,
दर दर की मैंने लाखो ठोकर थी खाई,
तकदीर मेरी तेरी दर पे ले आई,
जब से पकड़ी दादी तूने मेरी कलाही,
आँखे ये मेरी भर आई...
जिस दिन से थामा दादी हाथ जो मेरा दूर हुआ जीवन का अँधियारा
खुशिया ही खुशिया मेरे जीवन में आई,
संग संग में रहता मेरे जो परशाई,
बेटी बनाकर तूने अपने गले से लगाई ,
आँखे ये मेरी भर आई....
रिश्ता बनाया है जो आके निभाना,
आपने बेटी को ना दिल से भूलना,
श्याम की दादी बस यही तमना,
किरपा तुम्हरी मन कभी हो कम ना,
अपनी चौकठ से देना न मुझको रिहाई
आँखे ये मेरी भर आई.....