मैं बहुत दिनों का प्यासा हु मुझे श्याम सुदा पी लेने दो,
अब और सतयाओ न मुझको जरा चैन से मुझको जीने दो,
संसार है सपना दो दिन का ये जूते महल अटारी है,
उल्फत में कलेजा चाक हुआ अब बैठ के मुझको सीने दो,
मैं बहुत दिनों का प्यासा हु मुझे श्याम सुदा पी लेने दो,
इस मंजिल में लाखो ही मिले,
पर कोई न मन का मीत मिला,
दो कदम चले और बिछड़ गये,
मुझे जीवन नैया खेने दो,
मैं बहुत दिनों का प्यासा हु मुझे श्याम सुदा पी लेने दो,
दुनिया ये मुसाफिर खाना है,
याहा लाखो पंक्षी आते है,
कभी इस डाली कभी उस डाली पर रेहान वसेरा कर ने दो,
मैं बहुत दिनों का प्यासा हु मुझे श्याम सुदा पी लेने दो,
ब्रिजवासी मस्ती लेता है मन मस्ती के मखाने में,
कुछ दर्द भरा है जखम मेरा दृग बिंदु के रस में बहने दो,
मैं बहुत दिनों का प्यासा हु मुझे श्याम सुदा पी लेने दो,