हे श्याम तेरी महिमा क्या कहकर सुनाऊँ,
ताकत नहीं जिव्हा में जो गीत तेरे गाऊँ।।
पाकर तेरा दर्शन होता है ये चित्त प्रशन्न,
दर्शन के झलक से ही खिल जाता है मेरा मन,
सब भूलता हूँ दुःख जब चरणों में तेरे आऊं,
हे श्याम तेरी महिमा क्या कहकर सुनाऊँ,
ताकत नहीं जिव्हा में जो गीत तेरे गाऊँ।।
जो जीव शरण आएं रंग भक्ति का पाएं,
सब भरम गवां कर वो प्रीती तेरे संग लाए,
इस प्रेम की मूरत पे बलिहार सदा जाऊँ,
हे श्याम तेरी महिमा क्या कहकर सुनाऊँ,
ताकत नहीं जिव्हा में जो गीत तेरे गाऊँ।।
दुनियाँ में नहीं कोई तेरी शान का पाया है,
सब ढूंढ के जग देखा कोई ना दिखाया है,
तेरी महिमा तूही जाने कुछ अंत ना मैं पाऊं,
हे श्याम तेरी महिमा क्या कहकर सुनाऊँ,
ताकत नहीं जिव्हा में जो गीत तेरे गाऊँ।।
मैं दास तेरा तू नाथ तूही मेरा स्वामी है,
संयोग से मैं पाई यह भाग्य निशानी है,
तेरे चरणों की कर सेवा दिन रात तुझे ध्याऊँ,
हे श्याम तेरी महिमा क्या कहकर सुनाऊँ,
ताकत नहीं जिव्हा में जो गीत तेरे गाऊँ