आधी रात को मैया तेरी हूँ
आधी रात को मैया तेरी
कुण्डी ना खड़कता मैं
कोई और सहारा होता तो दरबार
तेरे न आता मैं.........
शेरावाली माँ मुझे तेरा ही भरोसा
ज्योता वाली माँ मुझे तेरा ही भरोसा
बार बार तेरे आगे माँ हूँ
बार बार तेरे आगे माँ
झोली न फैलता मैं
कोई और सहारा होता तो दरबार
तेरे न आता मैं........
घर घर घुमा दर दर भटका
कही न मिला ठिकाना माँ
कही न मिला ठिकाना माँ
तुझ सा कोई और न देखा
देखा सारा जमाना माँ
देखा सारा जमाना माँ…......
बार बार आने में मैया
थोड़ी लाज तो आती है
फिर ये सोच के आ जाता हूँ
खली ना लौटती है.........
तू हर बार ना देती माँ तो
क्यों उम्मीद लगता मैं
कोई और सहारा होता तो दरबार
तेरे न आता मैं...........
कौन है तेरे शिवा भवानी
जिसने जग को तारा है
जिसने तेरा ध्यम लगाया
उसका भाग्य सवार है.........
चंचल ना समझाता तो
ये बात समाझ न पता मैं …२
कोई और सहारा होता तो दरबार
आधी..........