करदे सँवारे तू कोई जादूगरी,
आज मोहे छू कर बना दे बांसुरी,
सारी उम्र की है तेरी मैंने चाकरी,
आज मोहे छू कर बना दे बांसुरी,
मैंने बहुत तोहे माखन खिलाया,
नाची मैं जैसे मोहे तूने नचाया,
पल कण के पलने में तुम्हे जलाया,
जुलु गी अब मैं कमर पे तेरी,
आज मोहे छू कर बना दे बांसुरी,
पल पल तोहरे संग रहु गी,
बन के सुरो की तरंग रहु गी,
तू राखे गा जिस रंग रहूगी,
सुन ली रे सखियों को बहुत खोटी खरी,
आज मोहे छू कर बना दे बांसुरी,