तेरी मुरली ने जुलम करी कान्हा तेरी मुरली ने जुलम करी,
जब कान्हा तेरी मुरली भाजे घर को छोड़ चली मैं भाजी,
ये तो टाले में ना ही टली,
कान्हा तेरी मुरली ने जुलम करी
लोक लाज मैंने सब छोड़ी ऐसी लागि प्रीत निगोड़ी,
मैं तो छलिया के फंद पली कान्हा तेरी मुरली ने जुलम करी
जाने ना ये पीड़ हमारी जाके बस भये आप मुरारी,
ये तो विसरे न एक हरी,
कान्हा तेरी मुरली ने जुलम करी
हरी बांस की टोरी बंसुरिया तोड़ दाऊ गी ओ सांवरियां,
सखी मुरली छिलाई लई,
कान्हा तेरी मुरली ने जुलम करी