कहा ढूंढ रहा मूरख उसको ये साई वसा हर मन में,
हर मन में वसा कण कण में वो तो संग है तेरे बंदे,
के दिल वाली धड़कन में,
कहा ढूंढ रहा मूरख उसको ये साई वसा हर मन में,
चाहे चुप चुप पाप कमाता,
उसके दर पे है सब का खाता,
उसे खबर है पगले सारी क्या होने वाला किस छन में,
कहा ढूंढ रहा मूरख उसको ये साई वसा हर मन में,
लिखा भगये का ना ही टले गा,
पहल कर्मो का सब को मिलेगा,
इन्ही कर्मो ने रावण मारा,
राम भटके थे वन में ,
कहा ढूंढ रहा मूरख उसको ये साई वसा हर मन में,
देख कर्म न कर कोई काला,
देखे लाखो निगहाओं वाला,
कही खो न जाये सूखा चैन तेरा इस माया वाली खन खन में,
कहा ढूंढ रहा मूरख उसको ये साई वसा हर मन में,
तेरी सांसो में वास्ता वही है,
बत्रा साई युदा तो नहीं है,
जैसे सीप में वास्ता मोती खुशबु वासी चंदन में,
कहा ढूंढ रहा मूरख उसको ये साई वसा हर मन में,