आंबे भवानी मेरी दुनिया दीवानी तेरी
तू मेरी जगदम्बा ओ मेरी आंबे माँ
चोकी सजाई है ज्योत जलाई है
आजा ओ जगदम्बा ओ मेरी आंबे माँ
भगतो की नैया को पार लगाती हो
कष्टों को भी तुम निवारती माँ
रोते जो आते है उनको हसाती हो
दुखो को दूर भगाती हो माँ
पहाडो से आती हो चना पूरी खाती हो
तू मेरी जगदम्बा ओ मेरी आंबे माँ
सिंह सवारी चल तुम चली आती हो दर्शन की प्यासी है ये अखियाँ
मन की मुरादों को पूरी कराती हो
तेरे बिना कोई दूजा न माँ
दोडी जो आती हो हमे न बुलाती हो
तू मेरी जगदम्बा ओ मेरी आंबे माँ