ना ये मानता हूँ ना वो मांगता हूँ
गोबिंद मई तेरी ख़ुशी माँगता हूँ
जहाँ तुम रखोगे वाही मैं रहूँगा,
जहाँ नाथ रख लोगे वही मैं रहूँगा ।
आपने लिए आशिया मांगता हूँ ॥
ना ये मानता हूँ...
जो तुम कहोगे, करूँगा मैं दिलबर
तेरी ख़ुशी में ख़ुशी चाहता हूँ ।
ना ये मानता हूँ...
ये दुनिया ना रीझे, ना रीझेगी कभी भी
तुमसे ही आपन नाता चाहता हूँ ।
ना ये मानता हूँ...
मेरे हाथ टूटे हो मांगू मैं किसी से,
शहंशाह के दर से सदा मांगता हूँ ।
ना ये मानता हूँ...