मुरली बजाने रास रचाने आये है,
मेरे श्याम सखी मैं दीवानी हो गई,
मोर मुकत सोहे कानो में कुण्डल,
श्यामल वरन चन्दर मुख मंडल,
कंठ में माला बुजा विशाला,
देख के उसका रूप निराला,
मैं तो विकी बिन दाम सखी मैं दीवानी हो गई,
मोहनी सूरत वदन गगिला है चितचोर ये छेलछबीला,
नजरे मिला के दिल को चुरा के प्रेम के झूठे खव्वाब दिखा के नींदे करदे हराम,
सखी मैं दीवानी हो गई,
पाओ में पैजनियां करे तुञ्ज झुन गूंज उठे जब मुरली की धुन,
लव कुछ गाये सब को सुनाये,
रघु भी आये सिर को झुकाये दास लिखे जो कलाम,
सखी मैं दीवानी हो गई,