तीन बार भोजन भजन इक बार

तीन बार भोजन भजन इक बार,
उस में भी आते है संकट हजार,

मन ने कहा चलो मंदिर हो आये,
मंदिर हो आये चलो दर्शन कर आये,
देर से गई तो बंद हो गए किवाड़,
उस में भी आते है संकट हजार,

मन ने कहा चलो तीर्थ कर आये,
तीर्थ कर आये चलो गंगा नहा आये,
जाने लगी तो पल्ले पैसे ना चार ,
मांगने गई तो कोई दे न उधार,
उस में भी आते है संकट हजार,

मन ने कहा चलो सत्संग सुन आये,
संत्संग सुन आये चलो कथा सुन आये,
जाने लगी तो घर आये मेहमान,
उस में भी आते है संकट हजार,

मन ने कहा चलो माला जपे आये,
माला जपे आये जरा माला जपे आये,
जपने बेठी तो नींद आये बार बार,
उस में भी आते है संकट हजार,

मन ने कहा चलो कीर्तन कर आये,
कीर्तन कर आये चलो कीर्तन कर आये,
जाने लगी तो मुझे चढ़ गया बुखार,
उस में भी आते है संकट हजार,

मन ने कहा अपने मन की न मानो,
फिर मैंने सोचा मैंने अपने मन की न मानो,
मानो तो मानो अपने गुरु जी की मानो,
फिर नही आयेगे संकट हजार,
हो जाओ गे फिर तुम भव से भी पार,
उस में भी आते है संकट हजार,
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