जब जब जिसने बांटा है दया प्रेम सदभाव
वहां श्याम कृपा सदा बरसे नहीं रहता कोई अभाव
उसकी तो रोज़ ही मस्ती है उसकी तो अलग ही हस्ती है
प्रेम जगत की रीत है प्रेम है जग आधार
प्रेमी से प्रेमी मिले तो बने श्याम परिवार
बांटो तो ये सस्ती है जिसे दुनिया तरसती है
उसकी तो रोज़ ही मस्ती है उसकी तो अलग ही हस्ती है
याद करके देखो दया प्रभु बरसाते
पालक झपकते प्रभुवर रंक से राजा बनाते
ये बात मुझे जंचती है तभी आते खाटू बस्ती है
उसकी तो रोज़ ही मस्ती है उसकी तो अलग ही हस्ती है
जैस तुम चाहोगे वैसा प्रभाव रहेगा
गले लगा कर देखो सदभाव मन में जागेगा
श्याम कृपा से मिले भक्ति है गोपाल कहे तृप्ति है
उसकी तो रोज़ ही मस्ती है उसकी तो अलग ही हस्ती है