दरशन बिन अंखियां तरस गई,
मईया आज ए अंखियां बरस गईं,
मैं जनम जनम का प्यासा हूं,
दुखिया इस जग से निराशा हूं,
मन में श्रद्धा विश्वास लिए,
नित तेरे दर पर आता हूं,
बस तेरा सहारा आस तेरी,
मां मेरी अंखियां छलक गईं,
दरशन बिन अंखियां तरस गईं,
तूं सारे जग की माता है,
तेरे जैसा कोई दानी नहीं,
सबके दुख तुम हरती हो मां,
आशाएं पूरी करती हो,
अब मेरी अरज भी सुन लो मां,
तेरे दर पर अंखियां बरस गईं,