संकट ने घेरा हैं आज तेरा राम पुकारे रे,
आजा मेरे हनुमान ।
भाई की मूरछा को तोड़के प्राण बचा ले रे,
आजा मेरे हनुमान ॥
पापी ने धोखे से, शक्ति को दे मारा,
मूर्छित पड़ा देखो, कैसे लखन प्यारा ।
मेरी लाज तू आकर बचा, तेरा राम पुकारे रे,
आजा मेरे हनुमान ॥
माता को जाकर के, मैं क्या बताऊंगा,
दुनीया को अब कैसे मुखड़ा दिखाऊंगा ।
तुझे आँख में आंसू लिए तेरा राम पुकारे रे,
आजा मेरे हनुमान ॥
सूरज के उगने से, पहले चले आना,
वरना मुझे भी तू जिन्दा नहीं पाना ।
भाई का गम कैसे सहु, तेरा राम पुकारे रे,
आजा मेरे हनुमान ॥
तेरे राम को जब भी दुखड़ों ने घेरा हे,
आकर के तूने ही, यम से उभरा हे ।
अब ‘हर्ष’ क्यूँ देरी करे, तेरा राम पुकारे रे,
आजा मेरे हनुमान ॥