आर बाबा पार बाबा
म्हारे घरा आओ एक बार बाबा
सुन्दर तेरी छवि प्यारी
जाऊं मैं तो वारी वारी
करके लीले की असवारी मेरे श्याम.......
म्हारे मन में घणो चाव थे म्हारे घरा भी आओ
म्हें थारा श्रृंगार करां थे सजधज के इतराओ
फूला रो मैं हार बनावां थाने जचां जचां पेहरावां
सोना सा दरबार सजावां मेरे श्याम ......
इत्तर से नेहला दू थाने जैसो भी तू चाहवे
चंपा जूही गुलाब केसर कुण सो थाने भावे
थारा बागा भी मंगवाया बाबा इत्र से महकाया
माथे केसर तिलक सजाया मेरे श्याम ....
खीर चूरमा माखन मिश्री का है थाल सजाया
जीमो जी म्हारा श्याम सलोना छप्पन भोग बनाया
थाने रुच रुच भोग लगाया जीमो जीमो जी जी चाया
संग में बीड़ा पान सजाया मेरे श्याम.............
जीम जूठ विश्राम करो थे था चरण दबावां
सुख दुःख की दो बातां करके में राज़ी हो जावां
सुनले बाबा अरज़ हमारी अर्ज़ी पे है मर्ज़ी थारी
रोमी देखे राह टिहरी मेरे श्याम .........