कान्हा कान्हा कब से पुकारू,
हर पल तोरी राह निहारु.
बीती जाये अपनी उमरियाँ अब तो दर्श दिखा दो
कान्हा कान्हा कब से पुकारू,
जब से तुझ संग नैना लागे,
और कही न लागे,
दर्श के प्यासे मोरे नैना दिल रैना है जागे,
अब तो अकार मोरे कान्हा नैनो की प्यासा बुजदो,
अब तो दर्श दिखा दो
कान्हा कान्हा कब से पुकारू,
मैंने सुना था सुनते हो सबकी मेरी बार क्यों देरी ,
सब की तुम बिगड़ी बनाते मुझसे आँख क्यों फेरी,
यु तरसना छोड़ दे मोहन दासी की बिगड़ी बना दो,
अब तो दर्श दिखा दो
कान्हा कान्हा कब से पुकारू,