पहली वार मैं आया शिरडी गांव में,
मुझे बिठा लो बाबा अपनी छाँव में,
मेरे चारो धाम तुम्हारे पाँव में,
मुझे बिठा लो बाबा अपनी छाँव में,
मैंने सुना है तुम पानी से दीप जला देते हो,
नीम के कड़वे पतो को शहद बना देते हो,
तुम जिसको छू लो उसके सब रोग मिटा देते हो ,
दुःख उसको छू भी न सके तुम जिसे दुआ देते हो,
मैं सवार श्रद्धा सवर की नाव में,
मुझे बिठा लो बाबा अपनी छाँव में,
बुजी बुजी सी है बाबा मेरी तकदीर जगा दो,
अपनी भभूति तुम अपने हाथो से मुझे लगा दो ,
मुझे भरोसा है मेरी उम्मीद न तुम तोड़ो गे,
इक बार जो पकड़ो गे तो हाथ ना तुम छोड़ो गे,
रखना साई मुझको सदा निगहाओं में,
मुझे बिठा लो बाबा अपनी छाँव में,