मुझे नाम दी मस्ती चढ़ गयी, नी मैं कमली हो गयी।
मैं नाच नाच माँ दे दर गयी, मैं कमली हो गयी॥
मेनू लोकी देंदे ताने, नी तू चल्ली हो गयी,
सारी दुनिया इक पासे नी, तू कल्ली हो गयी।
मैं कल्ली नहीं लोको मेरे नाल है माई,
जिस दे नाल है माई, उस दे नाल खुदाई॥
सुन कमली दिए माइये नी मैं योगं हो गयी,
मेनू लगेया रोग अवलडा नी मैं रोगन होई।
मेनू ठीक करेगी आपे, जीने रोग है लाया,
मेरी झंडेयां वाली माँ डा किसे भेत ना पाया॥
मैंने कुज नहीं सुझदा माये नी मेनू रस्ते पादे,
करमा वालिये, मेरे ते वी करम कमादे।
राधे वांगु ही बन गयी मेरी कहानी,
ओह श्याम दीवानी सी माँ, मैं तेरी दीवानी॥
मेरा चंचल चित्त यह दाती किते भटन ना जाये,
मेरी मस्ती जग्दिया अखन च भटक ना जाये।
मेनू अपने रंग विच रंग ले चरना विच थां दे,
मैं अपनी दुनिया छढ के घर आ गयी माँ दे॥