जहाँ सुमरु वाहाँ पाऊ मेरे श्याम धनि ने,
लीले चढ़ आवे श्याम बिहारी,
मंडे री बात सुनाऊ म्हारो सांवरिया ने,
जहाँ सुमरु वाहाँ पाऊ
हर ग्यारस में ज्योत जगाउ,
बरस की थारे धोक लगाउ नित नयम सु ध्याऊ,
म्हारो सांवरिया ने,
जहाँ सुमरु वाहाँ पाऊ
महेड बाबुल माहरो श्याम सहरो,
सांचो साथी माहरो सखा है प्यारो,
हर पल संग मैं पाउ म्हारो सांवरिया ने,
जहाँ सुमरु वाहाँ पाऊ
दीना नाथ मैं अर्जी लगाउ सुमिरन से पहर ले ही पाउ,
धरनी धरवा रिजाओ म्हारो सांवरिया ने,
जहाँ सुमरु वाहाँ पाऊ