सर्वेश्वरी, जय जय जगदीश्वरी माँ, तेरा ही एक सहारा है
तेरी आंचल की छाहँ छोड़ अब नहीं कहीं निस्तारा है
सर्वेश्वरी जय जय ....
मैं अधमाधम, तू अघ हारिणी ! मैं पतित अशुभ, तू शुभ कारिणी
हें ज्योतिपुंज, तूने मेरे मन का मेटा अंधियारा है !!
सर्वेश्वरी, जय जय .....
तेरी ममता पाकर किसने ना अपना भाग्य सराहा है
कोई भी खाली नहीं गया जो तेरे दर पर आया है !!
सर्वेश्वरी, जय जय .....
अति दुर्लभ मानव तन पाकर आये हैं हम इस धरती पर,
तेरी चौखट ना छोड़ेंगे ,अपना ये अंतिम द्वारा है !!
सर्वेश्वरी, जय जय .....