ग़दर मचाई काली ने रन में हुई सवार रे,
इक हाथ में खपर लेके दूजे में तलवार रे,
रन में चली माँ काली मच गया हाहाकार रे,
दानव की मच गई देखो रन में चीख पुकार रे,
किया काली ने वार बहाई रक्त की धार रे,
इक हाथ में खपर लेके दूजे में तलवार रे,
दिया काली ने देखो रुदर अवतार रे,
बन के चली है मैया देखो ये पुकार रे,
काट काट के मुंड की माला गले में डाले हार रे,
इक हाथ में खपर लेके दूजे में तलवार रे,
करे दुष्टो का महाकाली माँ संगार रे,
लाशो का ढेरलगा दे देखो बार बार रे,
सूरज को काली ने किया है अंधकार रे,
इक हाथ में खपर लेके दूजे में तलवार रे,