उसने ही शिव को पाया है ॐ नमः शिवाय

ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय जिसनें भी श्रद्धा से ध्याया है
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय जिसनें भी श्रद्धा से ध्याया है
उसने ही शिव को पाया है ॐ नमः शिवाय

देता है सुख छांया ये मन्त्र भक्तों को
दुखों की धुप में
इस मन्त्र के जप से गौरा ने शिव पायें
पति के रूप में

नारद ने ये मन्त्र नारद ने ये मन्त्र
आकर गौरा को सिखाया है
इससे ही शिव को पाया है
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय जिसनें भी श्रद्धा से ध्याया है
ॐ नमः शिवाय

मिले वेद ब्रह्मा को और चक्र विष्णु को
जपा जब मन्त्र ये
रावण को दी लंका भागीरथ को गंगा
मिली इस मन्त्र से मिली इस मन्त्र से

मन्त्र ये शिव का श्री राम भी गाया है
मन्त्र ये शिव का श्री राम भी गाया है
इससे ही शिव को पाया है
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय जिसनें भी श्रद्धा से ध्याया है
ॐ नमः शिवाय

है शृष्टि का आदि और अंत शृष्टि का
छिपा इस मन्त्र में
देवों ने ऋषियों ने शिवजी से मिलने को
जपा यही मन्त्र है

असुरों ने यही मन्त्र असुरों ने यही मन्त्र
जपकर शिवजी को मनाया है
असुरों ने यही मन्त्र जपकर शिव को मनाया है
इससे ही शिव को पाया है
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय जिसनें भी श्रद्धा से ध्याया है
ॐ नमः शिवाय

ये मन्त्र भक्ति दे ये मन्त्र शक्ति दे
ये भव से तारदे

अन्न धन मिले इससे मुक्ति मिले इससे
ये दुःख को टाल दे
अन्न धन मिले इससे मुक्ति मिले इससे
ये दुःख को टाल दे

पंचाक्षर ये मन्त्र पंचाक्षर ये मन्त्र
पावन अमर को भाया है पंचाक्षर ये मन्त्र
पावन अमर को भाया है पंचाक्षर ये मन्त्र
इससे ही शिव को पाया है
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय जिसनें भी श्रद्धा से ध्याया है
ॐ नमः शिवाय
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