माते माते विणा धारणी माते शुभ अंतर् मन ज्ञान उर्मि सब मन में मेरे भरदे ,
माते माते विणा धारणी माते
भय हिंसा दुःख पाप मिटाओ,
चहु और प्रेम की गंगा बहाओ,
प्रीत बसर हो कही न समर हो,
उज्वल जग करदे माते माते विणा धारणी माते
अज्ञान का अभिशाप नहीं हो,
ज्ञान ज्योति सब और जली हो,
दीप जला कर तम को हटा कर उज्यारा कर दे,
माते माते विणा धारणी माते