है अजब तरह का सामान तेरे खाटू में,
आते हैं अमीर गरीब तेरे खाटू में,
आए जितने भी परेशान तेरे खाटू में ,
काम सबके हुए आसान तेरी खाटू में,
दीवाना तेरा आया बाबा तेरे खाटू में ,
नज़राना दिल का लाया बाबा तेरे खाटू में ,
मिल मुझको मेरे बाबा, भरनी तुम्हे पड़ेगी,
झोली मैं खाली लाया बाबा तेरी नगरी में,
मैं दीवाना हो गया रे, मैं दीवाना हो गया,
मैं खाटू वाले श्याम का दिवाना हो गया,
यूँ तो हज़ारो मंजर देखने हैं हसीं मेने,
दिल तो सकूँ पाया, बाबा तेरी नगरी में ,
खाटू को छोड़ कर मैं कहीं और कैसे जाऊं,
सब कुछ तो यहीं पाया, बाबा तेरी नगरी में,
तुम ही हो राम कृष्ण और शेरों वाली मैया,
मुझे सब में तू नजर आया, बाबा तेरी नगरी में,
ना ‘हयात’ भूल पाया ग्यारस का वो मंज़र,
भगवान नज़र आया बाबा तेरी नगरी में ,
संकलन-ऋषभ कुमावत