छलिया छलिया कहे गुजरी,
छलियाँ रंग दिखावे गा,
मैं तेरी बांसुरी हर लू गी जो तू मोहन इतरावेगा,
मीठी लागे छाज तेरी तू मटकी भर के लाइ न,
प्यारी लागे तान कन्हियाँ मुरली मधुर भजाई न,
माखन मिश्री खिला मनोहर रोचक तान सुनावे गा,
मैं तेरी बांसुरी हर लू गी जो तू मोहन इतरावेगा,
तू मैया से करे शिकायत बिगड़ गया तेरो कान्हा है,
तो से मिलने का रंग रंग रसियां ये भी इक बहाना है,
मन की बात बता जा माधव पनघट पे मिल जावे गा,
मैं तेरी बांसुरी हर लू गी जो तू मोहन इतरावेगा,
तूने वधा किया मिलन का वनवारी के,
गांव गांव में चर्चा मेरे नैना लड़े वनवारी से,
यु दुनिया से खिजे ज़माना उतना उसे खिजावे गा,
मैं तेरी बांसुरी हर लू गी जो तू मोहन इतरावेगा,
हरे बांस की बांसुरियां में धेनु गीत सुनाऊ मैं,
राग रागनी बजा सांवरे महा रास दिखाऊ मैं,
कवी बिजन का श्याम भजन हेमनत राज भी गावे गा,
मैं तेरी बांसुरी हर लू गी जो तू मोहन इतरावेगा,