यदि नाथ का नाम दयानिधि है,
तो दया भी करेंगे कभी ना कभी
दुःख हारी हर दुखियाँ जन के दुःख कलेश हरेगे कभी न कभी,
यदि नाथ का नाम दया निधि है
जिस अंग की शोभा सुहावनी है,
जिस सवाली रंग में मोहनी है,
उस रूप सुधा के सनेहियो के,
दीर्घ प्याले भरे गे कभी न कभी न,
करुणानिधि नाम सुनाया जिन्हे,
चरणामित पान करवाया जिन्हे,
सरकार अदालत में गवाह सभी गुजरे गे कभी न कभी,
हम द्वार पे आप के आके पड़े,
मुदत से इसी जिद पे है अड़े,
भव सिंधु तरे जो बड़े जो बड़े,
बिंदु तरे गे कभी न कभी,
यदि नाथ का नाम दयानिधि है तो दया भी करेंगे कभी ना कभी