दुनिया की खा के ठोकरे

दुनिया की खा के ठोकरे तेरी शरण में आई
ठुकरा ना देना हमको मन में ये आस आई
दुनिया की खा के ठोकरे............

दुनिया का मोह छोड़ा जबसे है तुमको पाया
दानी तुम्हारे जैसा अब तक ना मैंने पाया
अब हार कर के बाबा चौखट पे तेरी आई
दुनिया की खा के ठोकरे............

ररिष्ते निभाऊं कैसे मतलब से पूछते हैं
है जिनको अपना समझा पैसों से तोलते हैं
जब है लगी ये ठोकर रिश्तों को समझ पाई
दुनिया की खा के ठोकरे............

जबसे है अपना साथी तुम्हे सांवरे बनाया
चिंता रहीं ना मुझको है सर पे तेरा साया
कहता उदित है दित है तुमसे दुःख कितने मैंने पाए
दुनिया की खा के ठोकरे............
श्रेणी
download bhajan lyrics (771 downloads)