चुनड़ी जयपुर से मंगवाई झुंझुनू वाली को उड़ाऊ,
चुनड़ी दादी के मन भाई ओड चुनड दादी मुस्काई,
सवर के सजके लगती सोहनी सोहनी मोती सेठानी,
हीरे चमके मोती चांदी बैठी सिंगासन दादी,
जगत सेठानी लागि रे रानी महारानी लागि रे
दो लखा गल हार पहनाया नवरत्नों का टिका,
दादी के मुखड़े के आगे ये चंदा भी फीका,
हाथ में कंगना पाँव में पायल की छनकार मत वाली,
हीरे चमके मोती चांदी बैठी सिंगासन दादी,
जगत सेठानी लागि रे रानी महारानी लागि रे
लाल रंग का पेहरे जोड़ा लेहरे लाल चुनरियाँ,
लाल रंग की देख के शोभा ठहरे नहीं नजरियां,
भोली मूरत प्यारी सूरत माँ की शान निराली,
हीरे चमके मोती चांदी बैठी सिंगासन दादी,
जगत सेठानी लागि रे रानी महारानी लागि रे
रंग बिंरंगा फुला से दादी दरबार सजाया,
इत्र ने अपनी खुशबु से खूब इसे महकाया,
दयालु दास किरपालु दादी कुंदन ये है दिल वाली,
हीरे चमके मोती चांदी बैठी सिंगासन दादी,
जगत सेठानी लागि रे रानी महारानी लागि रे