रोटी को नि भावे कहिया खाऊ रे सांवरियां,
थारे पुरवा वे अखिया भर जावे महारा सांवरियां,
नींदर भी न आवे काइयाँ सोउ रे सांवरियां,
थारी पुरवा वे आखा भर जावे महारा सांवरियां,
रोटी को नि भावे कहिया खाऊ रे सांवरियां,
पीहरिये में घर का सागे आती थी थारे गांव में,
सांसरिये में कोई न जाने कानहडो थारे नाम ने,
देखो बेड़ी जकड़ गई है बाबा मेरे पाँव ने,
यादली में थारी मैं तो रोउ रे सांवरिया ,
थारी पुरवा वे आखा भर जावे महारा सांवरियां,
रोटी को नि भावे कहिया खाऊ रे सांवरियां,
काम काज में मन नहीं लागे ,
दिखे खाटू धाम री,
आखड़लिया के श्याम आवे थारो मोटो श्याम री,
कद सी आ सी मेरो बुलावो दीपू सुभहो श्याम रे,
बातड़ली में थारी बैठ जाऊ रे सांवरियां,
थारी पुरवा वे आखा भर जावे महारा सांवरियां,
रोटी को नि भावे कहिया खाऊ रे सांवरियां,
स्वाती चूरमा भोग बनाई घी और बुरा भान के,
मेरो आलो कब है सीजी खेह आ जाओ छाल के,
हरष करि पत मेला समजे सांझ मुंग की दाल रे,
भोग लगा जा पनकी खेयू रे सांवरियां,
थारी पुरवा वे आखा भर जावे महारा सांवरियां,
रोटी को नि भावे कहिया खाऊ रे सांवरियां,