जगजननी के दर्शन अर्चन से तन मन धन पावन करना है,
जगजनी की संतान सभी क्या होगा न इसका ज्ञान कभी ,
इंसान सभी भाई भाई इस धर्म को धारण करना है,
जगजननी के दर्शन.....
धन धानये भरे हो ग्राम नगर,
सुख के दिन रजनी जगर मगर,
आनंदित करना है हर घर,
गीतत हर आँगन करना है,
जगजननी के दर्शन
जो जाहा रहे वो रहे सुखी,
सूरज नर नारी चन्दर मुखी,
धरती ही नहीं गगन आंगन को तुलसी वृन्दावन करना है,
जगजननी के दर्शन